अतिसार (दस्त)

अतिसार

जब शरीर में मौजूद धातुएं कुपित होकर जठराग्नि को मन्द बनाकर खुद मल में घुल जाती है, तब अपानवायु उन्हें नीचे की ओर धकेलती है, जिसके कारण वे गुदा मार्ग से वेग की भांति निकलती हैं तो इसे अतिसार या दस्त का आना कहते हैं।

आयुर्वेद के अनुभवियों के मतानुसार दस्त 6 प्रकार का होता है जैसे- वात, पित्त, कफ, सन्निपात, शोक और आंव आदि। लेकिन अतिसार मुख्य रूप तीन प्रकार के अधिक देखे जाते हैं-

पहला-`प्रवाहिका´ यानी पतले दस्त, दूसरा- `आमातिसार´ यानी मल में आंव का आना और तीसरा- `खूनी दस्त´ यानी दस्त के साथ खून (खूनी पेचिश) आदि आना। जब लगातार दस्त आने से शरीर में पानी की मात्रा कम हो जाती है तो उसे `डीहाइड्रेशन´ कहते हैं।

कारण:

  • दस्त अनेक कारणों से होते हैं। जैसे: खान-पान की गड़बड़ी, अधिक खाना खाने, विषाक्त और चिकनी चीजें खाने, शराब पीने, गंदी और सड़ी चीजें खाने, दस्तावर वस्तुओं (वह खाने की वस्तुऐं जो दस्त लाती हैं) के खाने, दूषित पानी पीने, बर्फ का अधिक सेवन |
  • मौसम परिवर्तन (ठंडी से गर्मी और गर्मी से ठंडी में जाने पर), रात को अधिक जागना, रात को ठंड लगना, भय, शोक होना, मानसिक कष्ट होना, पेट में कीड़े होना|
  • गर्म-मसालों और उत्तेजक चीजों के खाने आदि कारणों से पतले दस्त आने शुरू हो जाते हैं। इसके अलावा म्यूकस कोलाइटिस, अलसरेटिव कोलाइटिस, अमीबा जीवाणुओं के कारण से यह रोग होता है।

लक्षण: अतिसार से पीड़ित रोगी में इस प्रकार के लक्षण पाए जाते हैं जैसे –

  • नाभि, पेट, गुदा और दिल में दर्द, भूख कम होना, अधिक प्यास लगना|
  • पेट में गुड़गुडाहट होना, शरीर में कमजोरी आना, किसी काम में मन न लगना|
  • पानी की कमी, शरीर में कम्पन्न और टूट का होना, बेचैनी, आंखे बैठना|
  • जीभ मैली होना, नब्ज की गति धीमी होना तथा पतला मल तेल गति से त्याग होना आदि।

घरेलु उपाय :-

  • अनार की पत्तियों का रस दो चम्मच की मात्रा में लेकर उसमें शक्कर डालकर पीने से दस्त रुक जाते है |
  • एक गिलास नारियल पानी में , एक चम्मच पिसा हुआ जीरा मिलाकर सेवन करने से दस्त में आराम मिलता है |
  • कच्चा पपीता काटकर पानी में उबालकर दो-तीन दिन तक खाये |
  • जायफल को निम्बू के रस में पीसकर चाटने से दस्त साफ़ होते है तथा पेट का अफारा मिट जाता है |
  • एक चम्मच निम्बू का रस लेकर चार छोटे चम्मच दूध में मिलाकर पी ले , आधे घंटे में आराम होगा |
  • कुछ दिनों तक उपवास रखने और छाछ व कच्चे नारियल का पानी पीना चाहिए।
  • छोटे बच्चों को मां का दूध ही पिलाना चाहिए।
  • बच्चों को दूध पिलाने के लिए बोतल के स्थान पर कटोरी व चम्मच ही प्रयोग कर सकते हैं।
  • पानी को ढककर रखें और पीने से पहले हत्थेदार लोटे आदि का इस्तेमाल करना चाहिए।
  • भोजन की चीजें ढककर रखें और मक्खियों से बचाकर ही खायें।
  • सुबह-शाम हरी घास पर टहलने से लाभ मिलता है।
  • कटे और सड़े फल और मक्खियों के बैठे पदार्थों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  • भोजन बनाने या खाना खाने से पहले अच्छी तरह से हाथ धोना चाहिए।
  • रोजाना काफी मात्रा में पानी पीना चाहिए।

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