गठिया

गठिया

उम्र बढ़ने पर अक्‍सर लोगों को गठिया की शिकायत होने लगती है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण बॉडी में यूरिक एसिड की अधिकता होना होता है। जब यूरिक एसिड बॉडी में ज्‍यादा हो जाता है तो वह शरीर के जोड़ो में छोटे – छोटे क्रिस्‍टल के रूप में जमा होने लगता है इसी कारण जोड़ो में दर्द और ऐंठन होती है। गठिया को कई स्‍थानों पर आमवत भी कहा जाता है।

गठिया के किसी भी रूप में जोड़ों में सूजन दिखाई देने लगती है। इस सूजन के चलते जोड़ों में दर्द, जकड़न और फुलाव होने लगता है। रोग के बढ़ जाने पर तो चलने-फिरने या हिलने-डुलने में भी परेशानी होने लगती है। इसका प्रभाव प्राय घुटनों, नितंबों, उंगलियों तथा मेरू की हड्डियों में होता है उसके बाद यह कलाइयों, कोहनियों, कंधों तथा टखनों के जोड़ भी दिखाई पड़ता है।

  • गठिया रोग के प्रारंभ में प्राय:पैरों के टखनों एवं घुटनों में तथा हाथों की अँगुलियों में दर्द, सुई-सी चुभन या जलन क अनुभव होता है | यह लक्षण देखते ही सबसे पहले पेट के साफ़ रहने और कब्ज़ न होने देने के उपाय करना चाहिए |
  • अश्वगंधा को खूब बारीक़ कूट-पीसकर चूर्ण कर ले | इसके बराबर वजन की शक्कर मिलाकर पीस ले और ३ बार छान कर शीशी में भर ले, सुबह शाम १-१ चम्मच (लगभग ५ से १० ग्राम तक) फांक कर ऊपर से ऊपर से गर्म मीठा दूध पिए, यह नुस्खा बहुत लाभप्रद है |
  • अजवाइन, शुद्ध गुग्गुलु (गूगल), माल कांगनी, काला दाना चारों को अलग-अलग कूट-पीसकर सम भाग लेकर मिला ले और पानी का छींटा देकर चने बराबर गोलियां बना लें | २-२ गोली दिन में तीन बार गर्म दूध के साथ ले| यह गठिया रोग की सर्वश्रेष्ठ दवा है
  • लहसुन के रस में कपूर मिलकर मालिश करने से गठिया वाट के दर्द से राहत मिलती है|
  • गठिया से पीडि़त होने पर ज्‍यादा से ज्‍यादा मात्रा में पानी पिएं। शुरूआत में बार बार पेशाब जाने पर आपको दिक्‍कत हो सकती है लेकिन कुछ दिनों में आराम मिल जाएगा।
  • भंयकर दर्द होने पर अरंडी के तेल से मालिश कर लें, इससे दर्द में राहत मिलने के साथ – साथ सूजन में भी कमी आती है।
  • गठिया रोगी को अपनी क्षमतानुसार हलका व्यायाम अवश्य ही करना चाहिए, क्योंकि इनके लिए अधिक परिश्रम करना या अधिक बैठे रहना दोनोंही उचित नहीं है |

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