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पेट के कीड़े

पेट के कीड़े

पेट के कीड़े

हमारे पेट में कुछ परजीवी अपना आसरा बनाकर रहते हुए। कुछ शरीर से बाहर निवास करते हैं तो कुछ शरीर के अन्दर हमारे ही भोजन पर निर्भर रहते हैं।

ये जीव अपनी संख्या में वृद्धि कर हमारे शरीर को नुकसान पहुंचाते है। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के अनुसार ये परजीवी गोलकृमी,फीता कृमी,पिनकृमी आदि नामों से जाने जाते हैं। इनमें कुछ  हेल्मिन्थवर्ग के जीव हैं। जो धीरे-धीरे अपनी संख्या को बढाते हैं। कुछ सूक्ष्म जीव अमीबा। जैसे होते हैं जो शरीर में सहजीवी के रूप में रहते हैं तथा शरीर में पाचन सहित मल निर्माण क़ी प्रक्रिया में भी भाग लेते है।
लेकिन कुछ जीव परजीवी के रूप में रहकर आतों क़ी श्लेष्मा झिल्ली को नुकसान पहुंचाते हैं। आयुर्वेद में भी इन कृमियों के इलाज के लिए कुछ नुस्खे बताये गए हैं। जो इन्हें खींच कर बाहर निकालते हैं तथा इनकी प्रकृति से उलट होने के कारण इन्हें जीने के विपरीत वातावरण बना देते हैं। इसके अलावा यदि इनके उत्पन्न होने वाले कारणों को छोड़ दिया जाए तो ये फिर कभी नहीं पनपते हैं। आयुर्वेद में बताये  गए 20 प्रकार के इन कृमियों की चिकित्सा हेतु कुछ नायाब नुस्खे निम्न हैं , जिनका उचित प्रयोग इन्हें निर्मूल कर सकता है ।

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