मोतियाबिंदु
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मोतियाबिंदु एक आम समस्या बनता जा रहा है, अब तो युवा भी इस रोग के शिकार होने लगे हैं। अगर इस रोग का समय रहते इलाज न किया जाए तो रोगी अंधेपन का शिकार हो जाता है।
कारण :
मोतियाबिंदु रोग कई कारणों से होता है। आंखों में लंबे समय तक सूजन बने रहना, जन्मजात सूजन होना, आंख की संरचना में कोई कमी होना, आंख में चोट लग जाना, चोट लगने पर लंबे समय तक घाव बना रहना, कनीनिका में जख्म बन जाना, दूर की चीजें धूमिल नजर आना या सब्ज मोतिया रोग होना, आंख के परदे का किसी कारणवश अलग हो जाना, कोई गम्भीर दृष्टि दोष होना, लंबे समय तक तेज रोशनी या तेज गर्मी में कार्य करना आदि समस्याएँ मोतियाबिंदु को जन्म दे सकती हैं।
उपचार :
- मोतियाबिंदु की प्रारंभिक अवस्था में शुद्ध शहद को प्रतिदिन प्रात:काल एक बूँद आँखों में टपकाने अथवा सलाई द्वारा लगाने से महीने में ही भरपूर लाभ दिखाई पड़ने लगेगा | इससे काले मोतियाबिंदु का बचाव होगा, क्योंकि शहद से आँखों की पुतली की पारदर्शिता बढती है तथा आँखों का तनाव भी जाता रहता है | शहद के नियमित प्रयोग से दृष्टी क्षीणता दूर होकर नेत्र-ज्योति बढ़ती है तथा अन्य नेत्र संबंधी विकार भी दूर हो जाते है|
- मोतियाबिंदु के बचाव के लिए सुबह जागने के बाद मुंह में ठंडा पानी भरकर पूरी आँखे खोलकर आँखों पर पानी के ८-१० बार छीटे मारे |
- सफ़ेद प्याज का रस दस ग्राम, शुद्ध शहद दस ग्राम, भीमसेनी कपूर दो ग्राम, इन तीनो को अच्छीतरह मिलाकर शीशी में भर ले | रात को सोने से पहले काँचकी सलाई से दोनों आँखों में लगाने से बढ़ता हुआ मोतियाबिंदु शीघ्र थम जाता है | मोतियाबिंदु क यह उत्तम इलाज है |
- सौंफ और धनिया को बराबर मात्रा में लेकर उसमे हलकी भुनी हुई भूरी चीनी मिलाए इसको एक एक चम्मच सुबह शाम सेवन करने से भी बहुत लाभ मिलता है |